कबूतरबाजी में बनवाया था नेपालियों का पासपोर्ट, 25 महिलाएं विदेश भेजी गईं
फर्जी दस्तावेज और पते पर 31 नेपाली नागरिकों को कबूतरबाजी के चक्कर में पासपोर्ट बनवाया गया था। इनमें 25 तो महिलाएं हैं। अब तक जांच में यही पता चला है कि ये सभी भारतीय पासपोर्ट पर विदेश में हैं।
रेलवे स्टेशन पुलिस चौकी के पास भारत-नेपाल मैत्री समाज का आफिस है। वर्ष 2012 में नेपाली नागरिक सहायता केंद्र पर पहुंची दो महिलाओं ने पासपोर्ट बनवाने के बजाय रुपए हड़पने का आरोप लगाया था। तत्कालीन अध्यक्ष मोहनलाल गुप्ता ने इसकी शिकायत पुलिस अधिकारियों से की। तब सामने आया कि 90 नेपाली नागरिकों का पासपोर्ट फर्जी तरीके से बना दिया गया है। बड़े पैमाने पर हेराफेरी की शिकायत सामने आने पर तत्कालीन एसएसपी आशुतोष कुमार ने जांच कराई। इस मामले में जिनका पासपोर्ट बना है उन्हें आरोपित बनाया गया साथ ही परशुराम क्षेत्री और राजेश पासवान का नाम पासपोर्ट बनावाने वाले गिरोह में सामने आया था।
2014 में नए सिरे से हुई जांच
एलआईयू और पुलिस कर्मियों की कार्रवाई की जद में आने पर इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। शासन में शिकायत के बाद वर्ष 2014 में नए सिरे से जांच हुई। जिसमें कैंट क्षेत्र के पते पर 26 और शाहपुर के पते पर पासपोर्ट बनवाने वाले पांच लोग दोषी मिले थे। 15 जुलाई 2015 को कैंट पुलिस व तीन दिन बाद शाहपुर पुलिस ने पासपोर्ट बनवाने वाले नेपाली नागरिकों पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर जालसाजी करने और 17 पासपोर्ट अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया। 31 लोगों में 25 अकेले महिलाएं हैं। इन्हें भी पुलिस ने आरोपी बनाया है।
कूड़ाघाट के पते पर 26 नेपालियों का बनवाया था पासपोर्ट
सीमा राना पुत्री बहादुर राना, कल्पना थापा पुत्र भीम बहादुर थापा, मेनका थापा पुत्री भीम बहादुर थापा, बिमला आले पुत्र यम बहादुर आले, रामा गुरुंग पत्नी लोक प्रसाद गुरुंग, सीमा पत्नी सुनील, सीमा पुत्री नरेश थापा, कमला थापा पत्नी अमित थापा, प्रिया गुरुंग पुत्री तेज बहादुर गुरुंग, सोनिया गुरुंग पुत्री रनवबहादुर गुरुंग, आशा गुरुंग पत्नी विकास गुरुंग, आरती श्रेष्ठ पुत्री मोहन श्रेष्ठ, प्रीति गुरुंग पुत्री प्रेम गुरुंग, हेमा पत्नी राजू, संतोपी गुरुंग, अनिल गुरुंग पुत्र गनेश गुरुंग, कुमारी रमा पुत्री हरी थापा, गंगा थापा पुत्री खेमबहादुर थापा, आशा थापा पुत्री विष्णु थापा, कल्पना गुरुंग पुत्री पदूम बहादुर गुरुंग, माया पत्नी अरुण, रीता सुब्बा पत्नी नरेन्द्र सुब्बा, रुपा लामा पुत्री धावाधोर्जे लामा, सिबु रिमन पुत्र भोजबहादुर, संगीता गुरुंग पुत्र दल बहादुर, सूरज राना पुत्र झाल बहादुर राना।
पुलिसवालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं
फर्जी पते पर पासपोर्ट बनने के मामले में तत्कालीन पुलिस भी घिर रही थी। लेकिन जब यह मामला खुला तब के तमाम पुलिसवाले दूसरे जिलों में चले गए। पुलिसवालों का नाम सामने आने पर फाइल भी बंद होती और खुलती रही। इस मामले में पुलिसवालों पर आज तक कार्रवाई नहीं हुई।
फर्जी तरीके से पासपोर्ट बनवाने का मामला सामने आने पर खुफिया एजेंसी सक्रिय हो गई। एसपी ग्रामीण ने मामले की जांच करते हुए पासपोर्ट बनवाने वाले लोगों को दोषी पाया। पासपोर्ट बनाने के रैकेट में शामिल पुलिस-एलआईयू, मकान मालिक सहित तमाम लोगों को क्लीन चिट दे गई। इसलिए पासपोर्ट मामले की दोबारा जांच की मांग उठी।