एक चौकी इंचार्ज दो रिपोर्ट, पहले में कब्जा, दूसरे में कब्जा विहीन

एक चौकी इंचार्ज दो रिपोर्ट, पहले में कब्जा, दूसरे में कब्जा विहीन


बलदेव प्लाजा स्थित दो दुकानों को लेकर पुलिस भी अपनी अलग-अलग रिपोर्ट दे रही है। पुलिस कभी अरण्य के कब्जे में दुकान बता रही है तो कभी अखिलेश और अमित के। हद तो तब हो गई जब एक ही चौकी इंचार्ज ने चार महीने के अंदर अपनी पहली रिपोर्ट में दुकान अरण्य के कब्जे में बताया तो दूसरी रिपोर्ट में कब्जा विहीन बताते हुए सिटी मजिस्ट्रेट की कोर्ट में दाखिल किया है।


दोनों दुकानों का विवाद सिटी मजिस्ट्रेट के साथ ही दीवानी न्यायायल में लम्बित है। इसी मामले में सिटी मजिस्ट्रेट के यहां जटेपुर चौकी इंचार्ज मदन मोहन मिश्र ने चार महीने के भीतर दो अलग-अलग रिपोर्ट दी है। पहली रिपोर्ट में उन्होंने अरण्य प्रताप सिंह के कब्जे में दुकान बताई। बताया गया कि दुकान की सील खोलने के बाद उन्होंने अरण्य को कब्जा दिया था। चार महीने बाद उन्होंने दूसरी रिपोर्ट दी तो उसमें अमित और अखिलेश के कब्जे में दुकान बता दिया है। उससे पहले 2018 में रहे तत्कालीन चौकी इंचार्ज विनोद सिंह ने अरण्य को किरायदार बताया था।


रिपोर्ट एक 
छह नवम्बर 2018 को इस मामले में तत्कालीन चौकी इंचार्ज विनोद कुमार सिंह ने अपनी पहली रिपोर्ट दी थी जिसमें उन्होंने बताया था कि अखिलेश और अमित ने दुकान की रजिस्ट्री कराई है। अरण्य प्रताप सिंह किरायदार हैं। उन्होंने रजिस्ट्री के बाद से कोई किराया नहीं दिया है। दुकान खाली कराने को लेकर दोनों पक्षों में तनाव व्याप्त है।


रिपोर्ट दो 
छह जून 2019 को वाद संख्या 48/2019 145 सीआरपीसी के अनुपालन में उप निरीक्षक मदन मोहन मिश्रा चौकी जटेपुर मय महराही कर्मचारी गणों बलदेव प्लाजा गोलघर स्थित दुकान संख्या 272, 273 को उभय पक्ष अखिलेश कुमार दुबे वह अमित सिंह प्रथम पक्ष व द्वितीय पक्ष अरण्य प्रताप सिंह की मौजूदगी में दुकान संख्या 272 तथा 273 का सीलसुदा ताला खोलकर गवाह मनोज सिंह व मिथलेश द्विवेदी की मौजूदगी में दुकान द्वितीय पक्ष अरण्य प्रताप सिंह को सुपुद किया गया। 11 जून 2019 को सिटी मजिस्ट्रेट महोदय के कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देशित किया गया।


रिपोर्ट तीन 
21 अक्टूबर 2019 के बदल गई रिपोर्ट पहले रिपोर्ट में जहां दुकान को अरण्य प्रताप सिंह को सुपुर्द किया गया है वहीं चार महीने बाद मदन मोहन मिश्र ने ही अपनी दूसरी रिपोर्ट दी और उसमें बताया कि पांच मई 2015 को एमओयू के द्वारा दुकान खरीदने का एग्रीमेंट कराया गया था। 12 जून 2017 को प्रथम पक्ष ने दोनों दुकान की रजिस्ट्री कराई थी और दोनों दुकानों का मालिकाना हक और कब्जा प्राप्त किया था। तभी से दोनों दुकान उन्हीं के कब्जे में है। प्रथम पक्ष ने रजिस्ट्री कैसे करा लिया इसी को लेकर द्वितीय पक्ष से तनाव है।


बलदेव प्लाजा स्थित दोनों दुकान 2005 से ही किराये पर मेरे कब्जे में है। मैं उसमें मोबाइल सल्यूशन की दुकान चलाता हूं। उसके बाद भी गुमराह करके चौकी इंचार्ज ने गलत रिपोर्ट दी है। मैं इस मामले में अधिकारियों से शिकायत करूंगा।