नेताजी के साथ रहे स्‍वतंत्रता सेनानी बंशी का 102 साल की उम्र में निधन, राजकीय सम्‍मान के साथ हुई अंत्‍येष्टि

नेताजी के साथ रहे स्‍वतंत्रता सेनानी बंशी का 102 साल की उम्र में निधन, राजकीय सम्‍मान के साथ हुई अंत्‍येष्टि 


गोरखपुर के गगहा थाना क्षेत्र स्थित खजुरी बाबू गांव निवासी  स्वतंत्रता सेनानी 102 वर्षीय बंशी कन्नौजिया का सोमवार को दोपहर बाद 3  बजे  निधन हो गया। मंगलवार की सुबह तहसीलदार की मौजूदगी में राजकीय सम्मान के साथ मुक्तिधाम पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। 


किशोरावस्था में ही बंशी कनौजिया सिंगापुर चले गए थे। उन्होंने नेता जी सुभाष चंद्र बोस का भाषण सुना और फिर आजाद हिन्द फौज में शामिल हो गए। स्वतंत्रता संग्राम के दीवानों में शामिल बंशी कन्नौजिया रंगून, सिंगापुर और वर्मा  में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ रहे। खजुरी बाबू गांव के बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि देश आजाद हो गया था। हर ओर खुशियां मनाई जा रही थी। कस्बों से लेकर गांवों तक में लोग हाथों में तिरंगा लेकर घूमने लगे थे।  इसी दौरान वर्ष 1948 में बंशी कन्नौजिया गांव लौटे थे। तब ग्रामीणों को उन्होंने बताया था कि कुछ दिन पहले नेताजी गुमनामी में चले गए। उन्होंने सभी साथियों से कहा था कि वे लोग अपने देश लौट जाएं।


 


बंशी कन्नौजिया तब से गांव में ही रह रहे थे। हाल के कुछ दिनों से उनकी तबीयत खराब रह रही थी। सोमवार को दोपहर बाद तकरीबन 3 बजे उन्होंने खजुरी बाबू स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के निधन की खबर पाकर मंगलवार की सुबह तहसीलदार  बासगाव वीरेंद्र प्रसाद गुप्त और  गगहा थाने की पुलिस  उनके घर पहुंच गई। पुलिस कर्मियों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को अंतिम सलामी दी।


मुक्तिधाम पर हुआ अंतिम संस्कार
पुलिस कर्मियों के अंतिम सलामी के बाद स्वतंत्रता सेनानी का शव गोला बाजार में सरयू तट पर मुक्तिधाम पर अंतिम संस्कार किया गया। उनके तीसरे पुत्र  ज्ञान प्रकाश  ने उन्हें मुखाग्नि दी। उनके अंतिम संस्कार में  ग्रामप्रधान मनोज शाही, लालसेन शाही, सदानंद यादव, चंद्रशेखर, शिवसेन यादव, हलचल सिंह, पप्पू सिंह, श्रीकिशुन गुप्ता समेत सैकड़ो लोग शामिल हुए।


बंशी को चार पुत्र और एक पुत्री हैं
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बंशी कन्नौजिया अपने पीछे भरा पूरा परिवार  छोड़ गए हैं। उनके पाच पुत्र  गोलई, श्यामा, ज्ञानप्रकाश, रामकिशोर और रामसागर कन्नौजिया थे। जिनमें श्यामा का पहले ही निधन हो चुका है। एक पुत्री  शांति और  दर्जन  भर नाती-पोते हैं। उनके पौत्रों में सतीश और सत्येन्द्र  उतर  प्रदेश  पुलिस  में है। उनकी पत्नी पहले ही स्वर्गवासी हो गई थीं।